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Beyond
Times
Random Thoughts ...
This blog is about expressing and sharing thoughts which are not structured and can be termed as random. Randomness has its own charm and beauty which is often nostalgic and Beyond Times.
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हवा एक मुद्दतों में चली है वहाँ
click on video to listen this poem हवा एक मुद्दतों में चली है वहाँ दिल के गोशे गोशे में पर हलचल हुई है यहाँ | अमावस्या का घनेरा है...

Manoj Mittal
3 days ago2 min read
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लगता है यों कभी..
लगता है यों कभी ठिठक सी गई है ज़िंदगी तन्हा रास्तों पर मील के पत्थर सी शायद देना चाहती है दस्तक मन को उतर आई हो शाम- ज़िंदगी की पगडंडीयों...

Manoj Mittal
Apr 122 min read
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क्यों है ?
खिला है दिन पर उजियारे में पसरा अंधेरा क्यों है ? लजाती हँसी में उदासी का ये सबब क्यों है ? ताज़ा खिला है गुलाब काँटों में लेकिन अटका...

Manoj Mittal
Apr 52 min read
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नाज़ुक नन्ही कली
एक नाज़ुक नन्ही कली हो तुम चाहा था- प्यार से पल्लवित कर पुष्पित करना तुम्हें | परन्तु- ज़िंदगी की तपिश में मुरझा सी गई हो नाज़ुक हो,कुम्हला...

Manoj Mittal
Mar 151 min read
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फाग की सरगम
वक्त की कोख में ज़िंदगी लेती है हसरतें और मुस्कुराती है जाती सर्दीयों में सुनहरी धूप सी |...

Manoj Mittal
Mar 51 min read
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माघ का महीना
click the video to listen माघ का महीना ... रात्रि का अंतिम प्रहर ... हर ओर पसरा नीरव स्याह अंधेरा | घने वृक्षों का झुरमुट असीम आकाश मे...

Manoj Mittal
Feb 71 min read
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हवा का मासूम झोंका
शाम पेड़ की फुनगियों पर उतर आई थी, अनमना सूरज भी थक डूबने को था | परिंदे घोंसलों की ओर लौट चले थे, यादों के साये भी लंबे होने लगे थे | ...

Manoj Mittal
Jan 261 min read
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सूरज भी निकले तो सही
पूस की कांपती सर्द सुबह है... कोहरे में खोए हैं पेड़ भी धुँधलका भी अभी गया नहीं ठिठुरी सी है खंबे की रोशनी कुत्ता भी सोया है गाड़ी के नीचे...

Manoj Mittal
Jan 161 min read
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स्पर्श तुम्हारा
मिले भी हो, तो ज़िंदगी की उतरती शामों मे | कहाँ रह जाती हैं चाहतें भी तब तक ? ज़िंदगी की थकन भी अक्सर खो जाती है चेहरे की गहराती सिलवटों...

Manoj Mittal
Dec 30, 20241 min read
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है ये अख्तियार तुम्हें
याद करूँ तुम्हें या मैं याद किया जाऊँ ये कहाँ अख्तियार मुझे | भूल जाऊँ तुम्हें या भुला दिया जाऊँ ये भी कहाँ अख्तियार मुझे | रहूँ ख्यालों...

Manoj Mittal
Dec 12, 20241 min read
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मिलकर ही सही
सुरमई है आसमान- आओ,ख्बाब कोई सतरंगी बुनें | खनखनाती हंसी की सरगम पर गीत कोई नया लिखें | भोर के उजास में तारों को फिर से गिनें | रात के...

Manoj Mittal
Nov 24, 20241 min read
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जरूरी नहीं
जरूरी नहीं कि तुम याद करो मुझे भुला भी कहाँ पाओगी | बेशक लबों से ना बयान करो जज़्बातों को आँखों से ना छुपा पाओगी | फासला कितना ही रखा करो...

Manoj Mittal
Nov 5, 20241 min read
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