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The Shadow of my Existence

  • Writer: Manoj  Mittal
    Manoj Mittal
  • Jul 5
  • 6 min read

मेरे वज़ूद की परछाई


कविता वह पुल है जो हृदय से हृदय तक जाता है, बिना किसी शोर के।

 

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कविता केवल शब्दों का खेल नहीं होती- यह एक गहन अनुभव है, एक दृष्टि है। जब हम दुनिया को कविता की निगाह से देखते हैं, तब सड़क पर बिखरे पत्ते केवल पतझड़ का संकेत नहीं होते, बल्कि किसी बीते रिश्तों के अनसुलझे टूटे अहसास हो सकते हैं। ट्रेन के डिब्बे में बैठी वह महिला, जिसकी चुनरी खिड़की से उड़ रही है—वह महज़ एक दृश्य नहीं, बल्कि अधूरे प्रेम की कोई पंक्ति हो सकती है। कितने ही कवियों और शायरों ने बार-बार इस नज़र से दुनिया को महसूस किया है—जहाँ लम्हें ठहरते हैं, और भावनाएँ शब्दों का इंतज़ार नहीं करतीं। जब कोई कविता रची जाती है, तब वह केवल विचार नहीं बल्कि इंद्रियों का प्रस्फुटन होती है।कविता गंध से जन्म ले सकती है—जैसे पहली बारिश में मिट्टी की वो सौंधी खुशबू , जो किसी भूले हुए बचपन की गलियों में वापस ले जाती है। वह रंगों से बन सकती है—जैसे बागों में उड़ती इठलाती रंगबिरंगे परों वाली तित्तली के पीछे भागता छोटा बालक | वह स्पर्श, ध्वनि और स्वाद में भी बसती है—जैसे चूल्हे से उतरी एक ताजी रोटी की गरमाहट या किसी ग़ज़ल का लगता टूटता सुर । इन अनुभवों में जब हमारी स्मृतियाँ घुलने लगती हैं, तो कविता स्वयं हमारे भीतर अकुलाने लगती  है। जैसे मेरी ही एक कविता 'सूरज निकला  है पर आज ' के ये कुछ अंश जेठ की गर्मी ओर अंधड़ से प्रेरित है और इस अहसास को सूरज के छिपने से जोड़ते हुए कहा गया है  ' खुद का खुद तक लौटना है जरूरी '|

 

 जेठ का अंधड़ है

 और उड़ता है भयावह बवंडर

 बेख्याली मे बेखबर बेसुध हूँ मैं

 जरूरी नहीं

 सूरज छुपने से रात हो ही

 खुद का खुद तक लौटना है जरूरी

 

अक्सर जीवन के छोटे-छोटे क्षणों में कविता की उपस्थिति सबसे अधिक तीव्र होती है। ये क्षण जीवन में हर जगह हर समय हर तरफ बिखरे होतें है | बस एक कवि का मन और वैसी दृष्टी चाहिए होती है |जब चाय की प्याली से उठती भाप किसी अनकही बात में बदल जाती है| जब किसी के न होने का अहसास सालने लगता है | जब बालकनी में तार पे सूखते हवा में डोलते कपड़े कोई धुन बनाते है या जब पुराने रेडियो से आती सुरों की लहर हमें किसी अतीत में खींच ले जाती है जहाँ समय की गति धीमी थी और भावनाओं की रफ़्तार तेज़। कविता इन लम्हों और अहसासों को पकड़ती नहीं है, बल्कि उन्हें सांस लेने देती है—धीरे धीरे , कोमलता से। और बस यही कविता हो जाती है | चैटफील्ड ने लिखा था- कविता भावना का संगीत है, जो हमको शब्दों के माध्यम से मिलता है। मेरी ही एक दूसरी कविता का नीचे लिखा अंश इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे कुछ दृश्य और स्थितियाँ हमारी भावनाओ को शब्दों के द्वारा चित्रित कर सकतीं है | बस यही कविता है |

 

 खिड़की के शीशे पर ठिठकी हैं

 ओस की शबनमी बूंदे

 मन मे अटकी तन्हाईयों की तरह |

 गर्म चाय के कप की मासूम भाप भी

 पिघलाना चाहती है कोहरे को |

 उँगलिया लिखतीं हैं गीले शीशे पर तुम्हें

 और आंखे भी ढूढ़तीं है

 तुम्ही को इस धुँधलके में | 

 

 

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कविता सिर्फ़ लिखी नहीं जाती — वह जी जाती है। वह हमारी चेतना में प्रवेश करती है जैसे कोई पुरानी धुन, जो बरसों बाद भी दिल को छूती है। कविता सीमाओं को नहीं मानती। वह यथार्थ की कठोर ज़मीन पर कल्पना के बीज बोती है, और इन बीजों से जो विचार पनपते हैं, वे किसी भी भाषा, समय या देश के बंधन में नहीं रहते। कविता महसूस की जाती है — जैसे पहली बारिश, जैसे बचपन की कहानी, जैसे कोई अधूरी चिट्ठी। कविता उस रथ पर सवार होती है, जो कल्पना के आकाश में उड़ते हुए पूरे संसार से भावों का रंग समेट लाती है। उसमें प्रेम है, पीड़ा है, प्रतिरोध है और परिवर्तन की आहट भी। कविता मंचों पर पढ़ी जाती है, किताबों में छपती है, मोबाइल स्क्रीन पर पलकों की झपक में आ-गुज़रती है, लेकिन कहीं न कहीं वह हमारे भीतर घर कर लेती है। और फिर एक दिन, हम कविता की तरह जीने लगते हैं। हाँ, कविता सिर्फ़ पढ़ी या लिखी नहीं जाती — कविता की भी जाती है। अपने रिश्तों में, अपने संघर्षों में, अपने अकेलेपन और उम्मीदों में।

 

कविता, जीवन के उन सन्दर्भों की आवाज़ है जो अक्सर हमारे ध्यान की परिधि से बाहर रह जाते हैं—वे सूक्ष्म अनुभव, क्षणिक भावनाएँ, और अंतर्मन के वे संवाद जो कभी पूर्ण रूप से कहे नहीं जा सकते। यह विधा अपने आप में इतनी सरल और मासूम होती है कि वह जटिल भावनाओं को भी सहजता से शब्दों में बाँध लेती है। कविता की मासूमियत इसी में है कि वह भाषा को बोझिल नहीं करती—बल्कि कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थों को समेट लेती है। उसमें वह ताक़त होती है कि वह सिर्फ़ व्यक्त ही नहीं करती, बल्कि पाठक को महसूस भी करवाती है। वह नज़र से ओझल जीवन के उन पहलुओं को भी उजागर करती है, जिनकी स्याही भावनाओं के जल में घुली होती है। कविता, इसीलिए सिर्फ़ एक साहित्यिक विधा नहीं, बल्कि एक भावनात्मक सेतु है—हृदय से हृदय तक।

 

कविता एक व्यापक आसमान है | कविता ,शायरी, नज़्म, ग़ज़ल या पोएम वो रंग हैं जो अंतर्मन को हर शह में एक नया रूप देते हैं। ये सभी भावनाओं की बहनें हैं — कभी धीमे बहते झरने की तरह, तो कभी गहराइयों में उतरती नदी की तरह। जब कविता भीतर उतरती है, तो वह किसी बांसुरी में घुली हवा की तरह सारे विचारों में बजने लगती है। तब मन न तो लेखन की विधा पहचानता है, न शब्दों की सीमा — वह बस बहता है। विचार, दृष्टि, भावनाएँ, संवेदनाएँ, शब्द और भाषा सब जैसे इंद्रधनुष के रंग बनकर एक ही बूँद में समा जाते हैं। यह वह क्षण होता है जब आत्मा स्याही में बदल जाती है और कलम अपनी मर्ज़ी से ब्रह्मांड की भाषाओं में लिखने लगती है — जहाँ लेखक नहीं, केवल अनुभूति बोलती है। कविता हृदय की भाषा है, जो एक हृदय से निकलकर दूसरे हृदय तक पहुँचती है। मेरे लिए कविता ज़िंदगी का  एक अद्रश्य सा पर अभिन्न ऐसा हिस्सा है जो मेरी सोच व्यवहार और कार्यों को करने के तरीकों को परिभाषित करता है |

 

कविता को परिभाषित करती मेरी एक कविता - ज़िंदगी की रविश 


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अनदेखे ख्वाबों की खैरख्वाह

 तल्ख जमाने में ज़हनी सकून

 उलझे ख्यालातों के स्याहों में

 संकरी पगडंडी सी रोशनी है-

 मेरी कविता ...

 

मायूसी के मंज़र में भी

झीने आँचल की छाँव

साथ चलने का मौन वादा

और तितली सी इठलाती

हौसलों की उड़ान है –

मेरी कविता ...

 

मिलती है कभी -

सीले सीले अल्फ़ाज़ों में

कभी भीगे भीगे सुरों में

कभी भूली सी यादों में

हँसी की खनखनाहट में

बारिश की फुहारों में

और कभी-बाहुपाश में सिमट

दिलासा देती दिखती है –

 मेरी कविता ...

 

मेरे जीवन का स्पंदन

जीवन का तसव्वुर

जीवन की हद

ज़िंदगी की रविश

मेरे वज़ूद की परछाई

फ़लसफ़ा-ए-हयात

और हयात-ए-हकीकत है –

मेरी कविता ...

 

खैरख्वाह-शुभचिंतक ,स्याहों - अँधेरों , ज़िंदगी की रविश - ज़िंदगी का रास्ता , फ़लसफ़ा-ए-हयात - जीवन का दर्शन /फलसफा ,हयात-ए-हकीकत - जीवन की सच्चाई

 

 

 मनोज मित्तल - 12 जून 2025 | नोएडा

The poem explores the profound relationship between the poet and their craft, portraying poetry as a sanctuary amidst the harsh realities of life. It begins by highlighting the significance of unseen dreams and the comfort they provide in a turbulent world, suggesting that even in moments of despair, there exists a glimmer of hope symbolized by the poet's words. The imagery of a narrow path illuminated by light reflects the idea that poetry serves as a guiding force through complex and tangled thoughts.

 

The poet emphasizes that even in bleak circumstances, there can be moments of beauty and inspiration, likening these to a delicate veil and the graceful flight of a butterfly, representing resilience and the courage to rise above challenges. This duality of existence—between despair and hope—is a recurring theme, as the poet finds solace in the nuances of language, melodies, and cherished memories.

 

The poem further delves into the various forms in which poetry manifests, whether through words, music, or fleeting recollections, illustrating its omnipresence in the poet's life. The struggles of unfulfilled aspirations and the comfort found in embracing one's emotions are also explored, indicating that poetry can provide both solace and a means of expression.

 

Ultimately, the poet describes their work as the pulse of their existence, a reflection of their life's journey, and a philosophical exploration of reality and existence. The poem concludes with a powerful assertion that poetry is not just an art form but an integral part of the poet's identity and understanding of life itself.

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