उम्मीद
- Manoj Mittal
- Mar 24
- 1 min read
Updated: Apr 5
वक्त के गुबार में नज़रें
अक्सर धुंधला जातीं हैं
मगर वक्त के ही आग़ोश में
गुबार सिमट भी जाया करते हैं |
कदमों में लड़खड़ाहट
होती हो तो हो
मन में निश्चय अटल हो तो
रास्ते भी सिमट जाया करते हैं |

मत करों उदास मन को
और, बोझिल साँसों को
काले बादल भी
अक्सर छिटक जाया करते हैं |
जमाने की बातों को
दिल पर मत लगाया करो
सही गलत का हिसाब भी रहने दो
अक्सर बातों के मतलब और
जमाने के पैमाने बदल जाया करते हैं |
मंदिर के शिखर की पताका भी
हवा में उड़ती ही भली लगती है
चेहरा उठा के देखो उसपे
मुस्कुराहट ही भली लगती है |

हवा के स्पर्श को
शून्य की आवाज को
माटी की गंध को
और शीत के ताप को महसूस करो |
न हो सके तो मुझे ही याद करो
एक ख्याल बन चला आऊँगा ...
[मनोज मित्तल,नोएडा,जुलाई 27,2023]
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