माघ का महीना
- Manoj Mittal
- Feb 7
- 1 min read
माघ का महीना ...
रात्रि का अंतिम प्रहर ...
हर ओर पसरा नीरव स्याह अंधेरा |
घने वृक्षों का झुरमुट
असीम आकाश मे छिटके
तारों की झिलमिलाहट |
कोसी किनारे
पसरी चमकती रेत का चौडा पाट
पाट को लांघने का प्रयास करता
वेगमयी नदी का प्रवाह |
शीत में कांपता तन मन..
नदी किनारे जलते अलाव की ऊष्मा से
खुद को ढाँपने को ललकता मन |
अलाव की सुलगती लकड़ियों की
लालिमा में दमकता तुम्हारा अक्स
कहने को कितना कुछ होते हुए भी
खो जाते शब्द ...
परंतु मौन को आवाज़ देने की
कोशिश करती पलकों की झपकाहट
और होंठों की कंपन |
लगा जैसे कायनात सिमट आई है
तुम्हारे चारों ओर |
ठंडी हवा के स्पर्श का स्पंदन
अहसास करा जाता
भोर के उजास की |
पहाड़ी पार झाँकता सूरज
सर्द सुबह की मासूम धूप
नदी बीच चट्टान पर मंदिर के
घंटे की पावन ध्वनि ...
आओ,अपने सपनों को संजोये
रम जायें -
प्रकृति की असीम संजीवन संरचना में |
घुल जायें-
घंटे की प्राणदायी ध्वनि मे |
मिल जायें -
नदी के त्वरित प्रवाह में |
और विलीन हो जायें -
विराट ब्रम्हांड में |
माघ का महीना है ...
माघ का महीना -
हिन्दू पंचांग के अनुसार ग्यारहवाँ महीना ,जनवरी-फ़रवरी के बीच
कोसी- नदी का नाम ,अक्स - प्रतिबिंब या छवि , कायनात - ब्रम्हांड
[ मनोज मित्तल, 8 फ़रवरी 2025 ,नोएडा ]

Bhout khub ,@ mittal ji 🙏 pranam, badhai ,sunder rachna ,keep writing more ,your inbuilt strength 💪 ♥️ subhkamnayey