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तो जानूँ

  • Writer: Manoj  Mittal
    Manoj Mittal
  • Nov 17, 2024
  • 1 min read

Updated: Dec 6, 2024


जब मन हो मायूस और साँसें बोझिल

तब गुनगुनाओ नगमा प्यार का तो जानूँ |


बेवफा हो जमाना और विसाल भी नामुमकिन

तब इज़हार-ए -तमन्ना में लजाओ तो जानूँ |

 

बिखरी हो ज़िंदगी और सिमटने लगे वक्त

तब जला चिराग थाम लो हाथ तो जानूँ |

 

जब गर्दिशों में हो कारवां और धूप भी तल्ख

तब फैला गेसूओं को कर दो छाँव तो जानूँ |

 

जब सफर हो लंबा और कदम भी भारी

तब चल लो कुछ कदम साथ तो जानूँ |

 

जब उलझे हो ख्याल और टूटती हो आस

तब दरीचे से एक नज़र देख लो तो जानूँ |

 

बेरंग हो बज़्म-ए-महफ़िल और साज़ भी उदास

तब खनखना कर मुस्कुराहट बिखेर दो तो जानूँ |

 

जब जीना हो मुश्किल और मरना भी दुश्वार

तब इज़हार-ए-मोहब्बत कर दो तो जानूँ |

 

 

[ विसाल-मिलन,लजाना -शर्मााना ,गेसू- सिर के बाल,दरीचा-खिड़की,साज़-वाद्ययंत्र ] 

 

[मनोज मित्तल, नोएडा,17 नवंबर 2024]



 

 

 

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